The Richest Village in Asia: जानिए एशिया के सबसे अमीर गांव माधापुर के बारे में, जहां के निवासी विदेश में रहते हुए भी अपने गांव के विकास में बड़ा योगदान दे रहे हैं। पढ़ें पूरी कहानी
भारत का सबसे अमीर गांव: माधापुर
क्या आपने कभी सोचा है कि एशिया का सबसे अमीर गांव किस देश में हो सकता है? क्या यह जापान या चीन में होगा? नहीं, बल्कि यह गांव भारत में है! गुजरात के भुज के बाहरी इलाके में स्थित गांव माधापुर एशिया का सबसे अमीर गांव है। यहां कुल 32,000 लोग रहते हैं और इस गांव के लोगों ने 7,000 करोड़ रुपये की एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट) करवाई हुई है।
गांव की अमीरी का राज
माधापुर की अमीरी का मुख्य कारण गांव के लोगों का विदेश में रहना और वहां कमाए पैसे को अपने गांव में भेजना है। यहां के निवासी, खासकर पटेल समुदाय, विदेश में काम करने के बावजूद अपने गांव से गहरा जुड़ाव रखते हैं। ये लोग अपना पैसा विदेश में जमा करने की बजाय अपने गांव के बैंकों में रखते हैं। यही वजह है कि गांव के बैंक खातों में बड़ी-बड़ी जमाराशियां जमा हैं।
विदेश से आ रहा पैसा
माधापुर के अधिकांश लोग अफ्रीकी देशों में रहते हैं और वहां के निर्माण व्यवसाय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, कई लोग अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी बसे हुए हैं। हालांकि वे विदेश में रहते हैं, लेकिन उनका दिल हमेशा अपने गांव में रहता है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष पारुलबेन कारा कहती हैं, “कई ग्रामीण विदेश में काम करते हैं, लेकिन वे अपने गांव से जुड़े रहते हैं और अपने पैसे गांव के बैंकों में जमा करना पसंद करते हैं।”
गांव की सुविधाएं और विकास
माधापुर में बड़े-बड़े बैंक, स्वच्छता, पानी, सड़क जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां बंगले, सरकारी और निजी स्कूल, झीलें और मंदिर भी हैं। गांव में लगभग 20,000 घर हैं, जिनमें से लगभग 1,200 परिवार विदेश में रहते हैं। धन की अधिकता के कारण, गांव ने स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र, बांध, मंदिर और झीलें विकसित की हैं। इसके अलावा, लंदन में माधापुर विलेज एसोसिएशन की स्थापना की गई है, जिसका उद्देश्य विदेश में रहकर भी अपने गांव की छवि को बेहतर बनाना है।
अमीर गांव का भविष्य
माधापुर की कहानी यह दिखाती है कि कैसे एक छोटा सा गांव भी बड़ी आर्थिक ताकत बन सकता है, अगर उसके निवासी अपने गांव के प्रति समर्पित और लगनशील हों। विदेश में काम करने वाले लोग अपनी जड़ों से जुड़े रहकर अपने गांव को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।