नई दिल्ली, 3 सितंबर — कनाडा में हजारों भारतीय छात्र अब निर्वासन का सामना कर रहे हैं और पूरे देश में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन छात्रों का कहना है कि हाल की इमिग्रेशन नीतियों के बदलाव ने उनकी जिंदगी को खतरे में डाल दिया है। आइए जानते हैं विरोध की शुरुआत कहाँ से हुई और किस-किस प्रांत में यह फैल गया है। इन छात्रों की मुख्य मांगें भी जानिए।
कनाडा में 70,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र अब नए इमिग्रेशन नियमों के कारण निर्वासन का सामना कर रहे हैं। ये विरोध प्रदर्शन कनाडा के कई शहरों में हो रहे हैं, जिनमें प्रिंस एडवर्ड आइलैंड (PEI), ओंटारियो, मैनिटोबा और ब्रिटिश कोलंबिया शामिल हैं। विरोध की शुरुआत सबसे पहले PEI में मई में हुई थी, जहाँ कई भारतीय छात्रों को अपने वीजा की स्थिति के कारण वापस लौटना पड़ा था।
कनाडा सरकार ने हाल ही में स्थायी निवासीय नियुक्तियों में 25% की कमी की है, जिससे कई छात्रों को अचानक खतरा महसूस हो रहा है। इसके अलावा, पीएम जस्टिन ट्रुडो ने कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या में कटौती की घोषणा की है। इसके तहत, कुछ क्षेत्रों में वर्क परमिट के लिए आवेदन की प्रक्रिया को रोक दिया जाएगा।
छात्रों की मुख्य मांगें
विरोध कर रहे छात्रों की मांग है कि सरकार पोस्ट-ग्रेजुएट वर्क परमिट (PGWP) की अवधि बढ़ाए, स्थायी निवास के लिए स्पष्ट रास्ते प्रदान करे, और उनके शोषण से संबंधित समस्याओं को हल करे। वे प्रांतीय नामांकक कार्यक्रम (PNP) में अधिक स्लॉट्स की भी मांग कर रहे हैं, ताकि वे स्थायी निवास प्राप्त कर सकें।
मेहकदीप सिंह, एक पूर्व अंतरराष्ट्रीय छात्र, ने सिटी न्यूज टोरंटो से कहा, “मैंने कनाडा आने के लिए बहुत मेहनत की। मैंने पढ़ाई की, काम किया, टैक्स भरा, और अब सरकार ने हमें धोखा दिया है।”
अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने कनाडा सरकार से पीएनपी स्लॉट्स बढ़ाने, प्रक्रिया को तेज करने, और पारदर्शी इमिग्रेशन नीतियाँ लागू करने की मांग की है।
जैसे-जैसे विरोध प्रदर्शन बढ़ रहे हैं, कनाडाई सरकार पर छात्रों और अस्थायी विदेशी श्रमिकों की समस्याओं को हल करने का दबाव बढ़ रहा है। देखना होगा कि सरकार इन मांगों पर कैसे प्रतिक्रिया देती है और क्या बदलाव किए जाते हैं।
कनाडा में भविष्य को लेकर अपने सब कुछ दांव पर लगाने वाले इन छात्रों की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।