Sunita Williams Stuck in Space: हाल ही में, भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर फंसे हुए हैं। 5 जून 2024 को दोनों ने फ्लोरिडा से बोइंग स्टारलाइनर में उड़ान भरी, लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण वे अभी भी ISS पर ही हैं। उनकी धरती पर वापसी की कोशिशें नासा और बोइंग की टीमों द्वारा की जा रही हैं, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिल पाई है।
ISRO की भूमिका पर सवाल
क्या भारत की स्पेस एजेंसी ISRO सुनीता विलियम्स की वापसी में मदद कर सकती है? ISRO के प्रमुख एस सोमनाथ ने साफ किया है कि इस समय भारत सीधे तौर पर उनकी मदद नहीं कर सकता। भारतीय एजेंसी के पास ऐसा कोई स्पेसक्राफ्ट नहीं है जो ISS तक जाकर अंतरिक्ष यात्रियों को वापस ला सके। फिलहाल, केवल अमेरिका या रूस ही इस मिशन को पूरा करने में सक्षम हैं।
ISRO की उपलब्धियां और भविष्य के प्लान्स
हालांकि, भारत का स्पेस प्रोग्राम लगातार प्रगति कर रहा है। ISRO ने चंद्रयान और मंगलयान जैसे सफल मिशनों के जरिए वैश्विक पहचान बनाई है। अब ISRO का ध्यान अपने Gaganyaan मिशन पर है, जो मानव मिशन को अंतरिक्ष में भेजने के लिए तैयार हो रहा है। इस साल के अंत में Gaganyaan की टेस्टिंग शुरू हो सकती है, जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।
नासा की योजना और संभावनाएं
नासा और बोइंग की टीमें स्टारलाइनर की तकनीकी समस्याओं को हल करने में लगी हुई हैं। यदि सब कुछ सही रहा, तो सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को फरवरी 2025 में स्पेसएक्स क्रू-9 मिशन के माध्यम से वापस लाया जा सकता है। नासा ने विभिन्न विकल्पों पर विचार किया है, जिससे भविष्य में संभावनाएं बनी रहती हैं।
भारत की भविष्यवाणी: Gaganyaan मिशन
Gaganyaan मिशन भारत के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है। इस मिशन के तहत, दो या तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर, अंतरिक्ष में 7 दिन तक रहेंगे। अगर सब कुछ सही रहा, तो भारत 2025 में मानव मिशन के साथ अंतरिक्ष यात्रा की नई दिशा में कदम बढ़ा सकता है।
इस प्रकार, वर्तमान में भारत की सीधी मदद संभव नहीं है, लेकिन भविष्य में Gaganyaan मिशन के साथ भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नई ऊर्जा और संभावनाएं देखने को मिल सकती हैं।