उत्तर प्रदेश, 28 अगस्त 2024: UP Digital Media Policy, उत्तर प्रदेश सरकार ने एक नई सोशल मीडिया नीति का एलान किया है, जिसमें डिजिटल इन्फ्लुएंसर्स को राज्य सरकार की योजनाओं, पहलों, और उपलब्धियों को प्रमोट करने के लिए पुरस्कार देने की योजना शामिल है। इस पहल पर तीखी आलोचना की जा रही है, जिसमें विपक्षी पार्टियाँ यह दावा कर रही हैं कि कोई भी इन्फ्लुएंसर या सोशल मीडिया वॉरियर इस सरकार को बचा नहीं सकता, जो आगामी चुनाव में हार के लिए तैयार है।
नीति की मुख्य बातें:
उत्तर प्रदेश सरकार ने विज्ञापन देने वाली एजेंसियों और कंपनियों की सूची तैयार करने का निर्णय लिया है, जो डिजिटल माध्यमों पर ट्वीट्स, वीडियो, पोस्ट्स, और रील्स के माध्यम से सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों को प्रमोट करेंगे। इस नीति के तहत, सोशल मीडिया पर विभिन्न इन्फ्लुएंसर्स को चार श्रेणियों में बांटा जाएगा, और उनके फॉलोअर्स की संख्या के आधार पर भुगतान की सीमाएं निर्धारित की जाएंगी।
- X, Facebook, और Instagram: अधिकतम मासिक भुगतान सीमा ₹5 लाख, ₹4 लाख, ₹3 लाख, और ₹2 लाख।
- YouTube: वीडियो, शॉर्ट्स, और पॉडकास्ट के लिए भुगतान की सीमा ₹8 लाख, ₹7 लाख, ₹6 लाख, और ₹4 लाख होगी।
सरकार को यह अधिकार भी प्राप्त होगा कि अगर भुगतान किए गए कंटेंट में कोई भी एंटी-नेशनल, एंटी-सोशल, या अपमानजनक सामग्री दिखाई देती है, तो वे कानूनी कार्रवाई कर सकेंगे।
विपक्ष की प्रतिक्रियाएँ:
समाजवादी पार्टी (SP) के प्रवक्ता अलीक जमी ने कहा, “हम सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की सेंसरशिप का विरोध करते हैं। यह स्वतंत्र आवाजों को दबाने और धमकाने का प्रयास है। इस सरकार को कोई भी इन्फ्लुएंसर नहीं बचा सकता, जो हार के लिए बंधी हुई है। यह योजना केवल भाजपा से जुड़े लोगों को रोजगार देने का प्रयास है।”
कांग्रेस ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सच सामने आने से सरकार की घबराहट को दर्शाता है। यूपी कांग्रेस के महासचिव अनिल यादव ने कहा, “सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के साथ, यह कदम आलोचनाओं को चुप कराने की कोशिश है। पिछले पांच वर्षों में स्वतंत्र डिजिटल प्लेटफार्म्स ने भाजपा सरकार के झूठ को उजागर किया है। यह एक साजिश है जिससे आलोचना को दबाया जा सके।”
डिजिटल इन्फ्लुएंसर्स ने इस नीति को सरकार की ओर से अपने पक्ष में सामग्री तैयार कराने और जनता को प्रभावित करने के प्रयास के रूप में देखा है। टाइम्स ऑफ स्वराज के संचालक संतोष सिंह ने कहा, “सोशल मीडिया के उदय के साथ, सरकार विभिन्न मुद्दों पर तीखी आलोचना का सामना कर रही है। अब वे अपनी आर्थिक शक्ति के माध्यम से एक सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं, और इन्फ्लुएंसर्स को अपने प्रशंसा कर्ता बनाने का प्रयास कर रहे हैं।”
इस नई नीति के आने से यह स्पष्ट होता है कि सरकार सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी छवि को सुधारने और आलोचनाओं को दबाने की कोशिश में है, लेकिन इसके साथ ही विपक्ष और डिजिटल इन्फ्लुएंसर्स के बीच तीखी बहस भी शुरू हो गई है।