‘टुट्टी’ सेब: जलवायु संकट के खिलाफ एक समाधान
स्पेन और न्यूज़ीलैंड के शोधकर्ताओं और उद्योग समूहों द्वारा विकसित इस विशेष सेब का नाम ‘टुट्टी’ है, जिसे उच्च तापमान के बावजूद अपनी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए डिजाइन किया गया है। कैटेलोनिया क्षेत्र में बढ़ती गर्मी से निपटने के उद्देश्य से शुरू की गई यह परियोजना अब वैश्विक स्तर पर फलों की खेती को एक नई दिशा दे रही है। यह सेब अब अमेरिका, चिली और चीन जैसे देशों में भी उगाया जा रहा है, जो इसके वैश्विक महत्व को दर्शाता है।
फसलों पर बढ़ते तापमान का प्रभाव
जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि से फसलों की उपज और गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से चावल और गेहूं की उपज में क्रमशः 10% और 6.4% की कमी होती है। इसके अलावा, उच्च तापमान से पौधों की पत्तियों पर जलन, धीमी वृद्धि, और फलने-फूलने में कठिनाई जैसे संकेत उत्पन्न होते हैं।
आधुनिक तकनीकों का उपयोग
इन समस्याओं के समाधान के लिए, वैज्ञानिक जीन संपादन और अन्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। CRISPR/Cas9 जैसे उन्नत जीन-संपादन उपकरणों के माध्यम से पौधों की आनुवंशिक संरचना में सुधार किया जा रहा है, जिससे वे अधिक गर्मी और सूखे को सहन कर सकें। इसके साथ ही, पारंपरिक खेती की विधियों को भी स्थानीय स्तर पर अपनाया जा सकता है, जो विशेष रूप से गर्मी और सूखे से प्रभावित क्षेत्रों में फायदेमंद हो सकता है।
भविष्य की दिशा
हालांकि वर्तमान में इन नई तकनीकों की लागत ऊंची है, भविष्य में इनमें कमी आ सकती है, जिससे अधिक विकल्प उपलब्ध हो सकेंगे। इसके अलावा, स्थानीय रूप से विकसित पारंपरिक पौधों को भी अपनाकर हम जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को बेहतर ढंग से संभाल सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले वर्षों में इन नई तकनीकों के माध्यम से फसलों की विविधता और गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार होगा।